Friday 30 December 2011

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मै में रहते ,
लोग जहा पर,
भारत उस को ,
ही कहते है ,
मै-मै  सब ही .
जपते रहते ,
हर दर्द वही ,
अब सहते है ,
देश बाँट कर ,
प्रदेश काट कर ,
सुख की तलाश में ,
रोज भटकते रहते है ,
भाई भतीजा वाद में ,
ढूंढे विकास देश का ,
माँ फिर भी इसको ,
कहते रहते है ,
क्या नही जागोगे ,
अब भी सोने से ,
दूसरो  की बुराई,
और रोने से ,
क्या पाओगे ,
इस तरह जीने से ,
क्या मिलेगा तुमको,
ऐसे जीवन खोने से ,
आओ मिल कर रहते है ,
संघे शक्ति सब कहते है ,
कदम दूर नव वर्ष हमारा ,
मै का दंश न अब सहते है ..................
मै में रहते ,
लोग जहा पर ,
भारत उस को ,
ही कहते है ..............नव वर्ष की पूर्व संध्या पर चिंतन  ...........अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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