Friday 9 December 2011

Human Rights day

कल जब सूरज निकलेगा तब हम सब मिलकर दिन भर मानवाधिकार दिवस का गीत गायेंगे पर ये कैसा मानवाधिकार दिवस है कि ७०% जनसँख्या आज भी गाँव में बिजली का मतलब ढूंढ़ रही है............पिने का साफ़ पानी नही है जिसके कारण हजारो बच्चे डायेरिया से मर रहे है.......गरिमा पूर्ण जीवन कि तलाश में कर्ज में द्दुबे किसान आत्महत्या कर रहे है , सरकार के लिए यही काफी है है कि उसने देश नियम, कानूनों का ढेर लगा दिया है पर क्या सिर्फ नियम से किसी के घर कभी दिया जला है.........क्या कोई पढ़ लिख पाया है ..........ऐसे में गरिमा को चौराहों पर बेच कर बच्चे पढने कि उम्र में होटलों और धबो में काम करने को मजबूर है ............छाती में धुध कि कमी हो जाने के कारन माँ अपने धुध मुहे बच्चे को चाय या गरम पानी पिला कर इस देश कि अस्मिता को बचा रही है ..................गरीबी का हालत यह है कि जननी सुरक्षा योजना के नाम प्रसव कि संख्या बढाई जा रही है .पर कोई नही जन ना चाहता कि प्रसव और अस्पताल के बाद उस औरत का क्या हुआ ..............देश कि सरकार कितनी चिंतन शील है यह इसी बात से पता चल जाता है कि उसका मन ना है कि शहर में रहने वाला ३२ रुपये और गाँव में रहने वाल २६ रुपये में खर्चा रोज चला सकता है ये बात और है कि नेता को खुद का भत्ता कम लगता है .क्यों कि वो अलग तरह के आदमी है और उनकी गरिमा कि परिभाषा भी अलग है...संविधान में हम भारत के लोग का मतलब कौन से हम से है ......यह भी बताने वाल कोई नही ..............घरेलु हिंसा अधिनियम बना दिया गया पर औरत को ना जल्दी न्याय मिल रहा है और एक बार शिकायत करने के बाद उसकी हालत सुसराल में और भी ख़राब हो जाती है.....उस पर से पुलिस का तुर्रा यह कि आप कहती है सुसराल वाले बदमास है पर वो तो शरीफ लगते है ..यानि औरत को शोषण करते रहना चाहिए पर अपनी अस्मिता और गरिमा के लिए नही बोलना चाहिए....परिवार नयायालय में judge महोदय ही नदारत है ना हो तो लखनऊ के परिवार नययालाये चले जाइये .................महिला आयोग औरतो को सिर्फ तलाक कि सलाह देता है और अपराधियो को शरीफ बताता है .............यानि औरत भोग्या थी , है और वही बनी रहे ताकि औरत कि समस्या ही ना उठे और सरकार कहे कि देखिये कि हमारे देश में औरत की समस्या ही नही है ............शादी , दहेज़ की समस्या हो ही नही इस लिए सरकार , कोर्ट लिविंग relation को बढ़ा रही है .....औरत अब पूरी तरह उपभोग की तरफ बढाई जा रही है ..........और सब्ज़बाग़ ये दिकाया जा रहा है महिला सशकित्करण हो रहा है ..................आज जिस तरह से जन लोक पाल का विरोध किया जा रहा है उस से यह तो सिद्ध ही है कि देश में पूर्ण रूप से जनता के मानवाधिकार सुरक्षित रखने के लिए कभी सरकार तैयार ही नही है ................भरष्ट चार ने जिस तरह देश में मुह फैलाया है उस से यह साबित है कि अंधेर नगरी चौपाट राजा टके शेर भाजी टके शेर खाजा .................इन सबसे ऊपर देश में हम किसी जाति के हो सकते है , पार्टी के हो सकते है पर हम लोग भारतीय नही हो सकते .......यही कारन है कि आअज तक हम भारत वासी है भारतीय नही................यह अधिकार हम कब पाएंगे ? मानवाधिकार पर अखिल भारतीय अधिकार संगठन सभी से यही appeal करता है कि पहले भारतीय बनिए फिर आप हर गिल मोहल्ले पर मानवाधिकार कि चर्चा करके इस देश में लोकतंत्र कि स्थापना कीजिये ताकि जनता को उसकी गरिमा मिल सके आप सभी को मानवाधिकार दिवस कि बधाई...............
-All Indian Rights Organisation (AIRO)

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